बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार सुबह जदयू से इस्तीफा दिया। इसके बाद शाम को ही उन्होंने भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले लिया ।
बिहार में सरकार उलटफेर की अटकलें एक बार फिर सही साबित हो गया । नीतीश कुमार ने रविवार सुबह फिर से वही किया, जिसका पिछले कुछ दिनों से अंदाजा लगाया जा रहा था। रविवार सुबह उन्होंने राज्यपाल श्री राजेंद्र अर्लेकर को इस्तीफा त्याग पत्र दिया। उन्होंने राज्यपाल को बताया कि वे महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर चुके हैं। इसके बाद शाम होते-होते उन्होंने नौंवी बार भाजपा के समर्थन से सीएम पद की शपथ भी ले लिया
अब तक तीसरी बार भाजपा के साथ गठबंधन
- 1996 में नीतीश ने भाजपा से पहली बार गठबंधन किया था। 3 मार्च 2000 को सीएम बने, लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने की वजह से उन्होंने पद छोड़ा और अटलजी की सरकार में केंद्र में रेल मंत्री बन गए।
- 1996 से 2013 तक नीतीश भाजपा के साथ ही रहे। जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो वे एनडीए से अलग हो गए। 2015 में महागठबंधन की सरकार में सीएम रहे।
- दूसरी बार वे 2017 में एनडीए में लौटे और भाजपा की मदद से सरकार बनाई।
- 2024 में अब वह ये तीसरी बार भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बन गए । 28 साल में तीसरी बार वे भाजपा के साथ हैं
जदयू का भाजपा से गठबंधन तय है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को भाजपा के समर्थन का पत्र त्याग पत्र दिया है। राज्यपाल ने समर्थन पत्र स्वीकार भी कर लिया है। इसके बाद साफ हो गया है कि वे बिहार में नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के समर्थन में सरकार बनाएंगे। विधानसभा में भाजपा के 78, जदयू के 45 और हम के 4 विधायक हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा में तीनों दलों को मिलाकर यह आंकड़ा 127 होता है, जो बहुमत के 122 के आंकड़े से पांच ज्यादा है।