Gaganyaan Mission: गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। मिशन सफल होने पर भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही यह काम कर पाए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा किया और मिशन गगनयान की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मिशन पर जाने वाले चार यात्रियों को भी सम्मानित किया। इससे पहले अक्तूबर 2023 में अंतरिक्ष एजेंसी ने गगनयान के पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) को लॉन्च किया था। हाल के दिनों में चंद्रयान-3 की चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग दुनियाभर में चर्चा का विषय रहे। अब इसरो की नजर गगनयान मिशन पर है जिसके तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा।
रूस भेजकर दिलाई गई अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग
अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव एयर फोर्स के टेस्ट पायलटों में से किया गया है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए बहुत से लोगों ने आवेदन दिया था। पहले 12 लोगों की लिस्ट बनाई गई। अब इनमें से 4 का चुनाव किया गया है। अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) में किया गया। यह भारतीय वायु सेना के अंतर्गत आता है। इन चारों को 2020 की शुरुआत में ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया था।
क्या है गगनयान मिशन?
Gaganyaan मिशन इसरो का पहला ऐसा स्पेस मिशन है जिसमें इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसमें अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में भेजा जाएगा। वे तीन दिन अंतरिक्ष में रहेंगे। इसके बाद धरती पर लौट आएंगे। लैंडिंग समुद्र में कराई जाएगी। इसके लिए इसरो द्वारा इंसान को ले जाने लायक रॉकेट, लाइफ सपोर्ट सिस्टम और चालक दल के लिए इमरजेंसी स्केप तैयार किए जा रहे हैं।
मिशन से क्या हासिल करेगा भारत?
गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। वर्तमान में ऐसा मुकाम हासिल करने वाले देश केवल अमेरिका, रूस और चीन ही हैं।
कब होगी लॉन्चिंग?
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक बयान में कहा था कि गगनयान मिशन के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्री 2025 में उड़ान भरने का इंतजार कर रहे हैं। सोमनाथ ने कहा था, ‘चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद इसरो गगनयान मिशन को संभव बनाने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाना इस मिशन का बेहद महत्वपूर्ण पहलू है। इसे संभव बनाने के लिए हमें बहुत सारी तकनीक विकसित करने की जरूरत है और हम इसे संभव बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में इसके लिए कई तकनीकों को नए सिरे से विकसित और सफल बनाया गया है।